हरियाणा

मनुष्य का जीवन अनेक विषेशताओं से भरा है उनमें एक विषेशता है-बोलने की क्षमता : मुनि विजय कुमार

सत्यखबर,गुहला-चीका(बब्बल कुमार  )

गुरुग्राम से चंडीगढ़ का सफर हुआ और अधिक सुगम,नई वोल्वो बस शुरू 
Haryana: गुरुग्राम से चंडीगढ़ का सफर हुआ और अधिक सुगम,नई वोल्वो बस शुरू 
जैन तेरापंथ भवन में  श्भाशा का विवेक सीखेंश् विशय पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि विजय कुमार जी ने कहा- मनुश्य का जीवन अनेक विषेशताओं से भरा है उनमें एक विषेशता है-बोलने की क्षमता। वह बोलकर अपने भावों को अभिव्यक्ति दे सकता है। पषु जगत् में अनेक पषु ऐसे हैं जो मनुश्य से बहुत षक्तिषाली हैं किन्तु मनुश्य की तरह बोलने की योग्यता उनमें नहीं है। बोलना एक कला है। इस कला में पारगामी व्यक्ति दूसरों को अपना मित्र बना लेता है और जो भाशा का विवेक नहीं रखता  वह सबको अपना दुष्मन बना लेता है। कवि ने ठीक कहा है-श्मधुर वचन है औशधि,कटुक वचन है तीर। वचन की मधुरता घाव के लिए मरहम जैसा काम करती है और वचन की कटुता तीर के प्रहार की तरह प्राणों को बींध देती है। अविवेक से बोला गया एक वचन कई बार सात-सात पीढिय़ों के संबंध को तोड़ देता है इसलिए व्यक्ति को भाशा का प्रयोग करते समय बड़ा विवेक रखना चाहिए। भगवान् महावीर ने अपने उपदेषों में विवेक देते हुए कहा कि व्यक्ति अनावष्यक नहीं बोले,बोलने पर सत्य भाशा का प्रयोग करें। आगे उन्होंने कहा कि-सत्य भाशा भी ऐसी नहीं हो जो किसी के दिल को चोट पहुंचाये और कर्मबन्धन का कारण बने। षासन श्री ने यह भी कहा कि व्यक्ति की पहचान के अनेक बिन्दू हैं। उनमें मुख्य है-भाशा। रंग-रूप,अध्ययन,कला इनसे भी व्यक्ति की पहचान होती है किन्तु भाशा के प्रयोग से व्यक्ति के स्तर की पहचान हो जाती है। भाशा के द्वारा अच्छा या बुरा जो भी प्रभाव पड़ता है वह स्थायी होता है। हर व्यक्ति सम्मान पाना चाहता है,इसके लिए जरूरी है कि वह सम्मानजनक और मधुर भाशा का प्रयोग करे।

 

Haryana Bhrti
Haryana Bhrti: सिरसा, हिसार, फतेहाबाद व जींद के युवा अग्निवीर भर्ती के लिए इस तारीख तक करे आवेदन

Back to top button